सिंगर और एक्टर दिलजीत दोसांझ का जन्म 6 जनवरी 1984 को पंजाब के दोसांझ कलां गांव में हुआ था. दिलजीत पहले पंजाबी इंडस्ट्री का जाना- माना चेहरा थे, लेकिन अब बॉलीवुड में ही उनके अपनी पहचान बना ली है.
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उनके पिता पंजाब रोडवेज के रिटायर कर्मचारी हैं और मां हाउसवाइफ हैं. दिलजीत ने आठवीं क्लास से पगड़ी बांधना शुरू किया था क्योंकि उस समय स्कूल में उन छात्रों को पगड़ी बांधना जरुरी था, जिनके नाम के पीछे सिंह लगता था. उन्होंने दसवीं क्लास से आगे पढ़ाई नहीं की क्योंकि उनके पिता की सैलरी 5000 रुपये थी. ऐसे में उन्होंने घर की आर्थिक स्थिति को देखते हुए पढ़ाई छोड़कर अपने बचपन के शौक और हुनर को कमाई का साधन बनाने की ठानी.
दिलजीत के पास अब एक प्राइवेट जेट भी है. इसकी फोटो उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर शेयर भी की थी. उनकी शादी को लेकर ये अफवाह आई थी कि उन्होंने एक कैनेडियन लड़की से शादी की है और उनका एक बेटा भी है.
2011 में दिलजीत ने ‘द लॉयन ऑफ पंजाब’ से अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की थी, जिसका गाना ‘लख 28 कुड़ी दा’ फैंस के बीच काफी पॉपुलर हुआ था. ये गाना ‘द ऑफिशियल एशियन डाउनलोड चार्ट’ पर नंबर वन रहा था.
दिलजीत समाजसेवी भी हैं. 2013 में अपने जन्मदिन के मौके पर उन्होंने असहाय बच्चों और बुजुर्गों ‘सांझ फाउंडेशन’ की शुरुआत की. वो हमेशा ही अपनी हर खुशी को फैंस के साथ शेयर करते हैं.
कुछ समय पहले सोशल मीडिया पर उनकी एक तस्वीर वायरल हुई थी, जिसमें वो छोटे बाल में नजर आ रहे थे. खबरों की मानें तो करीब दो साल पहले उन्होंने बाल छोटे करवाए थे, लेकिन वो इसे दुनिया से छुपाते रहे. वो जब भी घर से बाहर निकलते थे, तो पगड़ी में निकलते थे. ये भी कहा जा रहा है कि अब वे इस लुक में इसलिए हैं जिससे बॉलीवुड में हर तरह के किरदार निभा सकें.
हालांकि कुछ समय पहले एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, ‘पगड़ी मेरी शान है, पहचान है. सिर पर पगड़ी हमेशा बांधूंगा फिर चाहे काम मिले या ना मिले’. बहुत कम लोगों को पता है कि पहले दिलजीत का नाम दलजीत था, 2004 में एक म्यूजिक अलबम रिलीज करने से पहले उनसे नाम बदलने की बात कही गई और दलजीत, दिलजीत बन गए.
एक इंटरव्यू के दौरान दिलजीत ने कहा था कि उन्हें हनी सिंह से डर लगता है. हनी सिंह एक ऐसा आर्टिस्ट है जो कभी भी कुछ भी कर सकता है. अगर वो 2-3 साल काम ना भी करें, तो भी वो आपको सरप्राइज दे सकता है.
बहुत कम लोगों को पता है कि संगीत जगत में कदम रखने से पहले दिलजीत गुरूद्वारा साहिबों एवं अन्य धार्मिक कार्यक्रमों में कीर्तन गाया करते थे. दोसांझ गांव दलजीत को दिलजीत बनाने के पीछे फाइनटोन म्यूजिक कंपनी के मालिक राजेंद्र सिंह का हाथ है, जिन्होंने दिलजीत को पंजाबी संगीत जगत में 2003 में प्रवेश करवाया. दिलजीत ने अपने नाम के पीछे दोसांझ शब्द बहुत बाद में लगाया, जो उनके गांव का नाम है.
दिलजीत बचपन में सोल्जर बनना चाहते थे. एक्टर बनने के बारे में उन्होंने कभी नहीं सोचा था. संगीत के प्रति उनके रुझान बढ़ने से 11 साल की उम्र में दिलजीत को यकीन हो गया की बड़े होकर वो एक आर्टिस्ट बनेंगे.
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