दुनिया में बहुत कम लोग एरिया 51 के बारे में जानते हैं और जो लोग जानते है वो इससे जुड़े रहस्य को जानना चाहते है. पर कोई भी पूरी तरह से ये साबित नही कर पाया है की आखिर क्या है एरिया 51 का रहस्य. एरिया 51 के पीछे का रहस्य जानने के लिए आइये हम पहले ये जान ले की आखिर एरिया 51 है क्या?
अमेरिका का गुप्त क्षेत्र है एरिया ५१
एरिया 51 अमेरिका का सबसे बड़ा एरिया है यहाँ एक मिलिट्री बेस (military base) भी है जो अमेरिका से 90 मील दूर लॉसवेगास में स्थित है. ये 85000 एकड़ में फैला हुआ है. यहाँ पर विमानों तथा हथियारों की जांच की जाती है.
दुनिया के सारे देश इस गुप्त जगह के बारे में जानना चाहते है. लोग इस एरिया के बारे में अपनी अलग-अलग राय देते हैं. कोई कहता है की यहाँ पर गुपचुप तरीके से एलियंस पर भी शोध की जाती है. कोई कहा जाता है की इसी जगह पर एक एलियंस यान यूएफओ 1947 में क्रेश हुआ था. जबकि वर्ष 2011 में एनी जेकोबसन नामक व्यक्ति ने अपनी बुक में इस बात का खंडन किया था. यहां पर से यूएस आर्मी ने अपने पहले ड्रोन की टेस्टिंग की थी. ओसामा बिन लादेन को मारने में जिन ब्लैकहॉक हेलिकॉप्टर्स से कार्य लिया गया था. इन हेलिकॉप्टर्स कोऑपरेशन से पहले यहीं टेस्ट किए गए थे.
नजर आते है इलाके में एलियन
एलियन देखने का दावा कुछ लोगो ने उस इलाके मैं जाकर सच जानने की कोशिश भी की हैऔर उन्होंने एरिया 51 इलाके में एलियंस को भी देखा है. पर कोई भी इस बात को मानता नही. हालंकि कई रिसर्च के बाद ये तो साबित हो चूका है की यहाँ पर अमेरिका की ओर से खुफिया रिसर्च की जाती हैं. यहां पर से यूएस आर्मी ने अपने पहले ड्रोन की टेस्टिंग की थी. इसका नाम डी 21 था. आज भी एरिया 51 रहस्य से पर्दा नही उठा की आखिर यहाँ ऐसा क्या है जिसके कारण यहाँ का एरिया restricted कर दिया है. क्या कभी कोई एरिया 51 के पीछे का रहस्य जान पायेगा? क्या कभी इसकी पहेली सुलझ पायेगी ?
दुर्घटना ग्रस्त हुआ था सेना
अब 50 साल बाद इस इलाके का राज खुलने के बात सामने आ गयी. ख़बरों की मने तो दुनिया के सबसे मशहूर और रहस्यमयी स्थान एरिया-51 की कुछ तस्वीरे सामने आई है. अमेरिका के नेवादा रेगिस्तान के इस इलाके से संबंधित एक्स फाइल्स, दूसरे ग्रहों के पायलट और उड़न तश्तरियों के बहुत से किस्से हैं. इस गुप्त इलाके में किसी को आने-जाने की इजाजत नहीं दी जाती है. पहली बार एक साइंस चैनल पर यहां की तस्वीरें देखने को मिल सकती. इन तस्वीरों में जनवरी 1963 में हुए ए-12 जासूसी विमान दुर्घटना को देखा जा सकता है. बाद में ये प्रोटोटाइप विमान एसआर-71 ब्लैकबर्ड कहलाया था.
शीतयुद्ध के चरम पर अमेरिकी एयरफोर्स, सीआईए और नासा सुपरसोनिक एवं स्टील्थ टेक्नोलॉजी में किए गए अपने विकास को दुनिया से छिपाकर रखना चाहते थे. उस समय ए-12 2200 मील प्रतिघंटा की रफ्तार से उड़ सकता था. ये स्पीड राडार कैच नहीं कर सकता था. ये अमेरिकी उपमहाद्वीप 70 मिनट में पार कर सकता था. प्लेन के अल्ट्रा सेंसिटिव कैमरे 90,000 फीट ऊंचाई से महज एक फीट के टुकड़े की भी साफ तस्वीरें खींच लेते थे.
करीब 50 साल बाद एक वृतचित्र में ए-12 की टेस्ट फ्लाइट हादसे को दिखाया जाएगा. हादसे में प्लेन 25 हजार फीट ऊंचाई पर कंट्रोल से बाहर हो गया था और सीआईए के टेस्ट पायलट केन कोलिंस को पैराशूट से कूदना पड़ा. वे वैंडोवर के पास जमीन पर गिरे. तीन नागरिकों ने उन्हें अपने ट्रक से प्लेन के मलबे तक पहुंचाने का प्रस्ताव दिया. फिर भी कोलिंस को लोगों को साइट से दूर रखने की ट्रेनिंग दी गई थी. इसलिए वे उन लोगों को विपरीत दिशा में ले गए. इस बीच सरकारी एजेंट वहां पहुंच गए और मलबे को टुकड़ों में काटकर ट्रकों के जरिए ले जाया गया. अमेरिका नहीं चाहता था कि रूस के जासूसी सैटेलाइट इस विमान की टेक्नोलॉजी देख सकें.
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