कहा जाता है की सुभाष चंद्र बोस जब विमान से जा रहे थे तो सोने चांदी से दो भरे बड़े बॉक्स भी अपने साथ लेकर जा रहे थे। लेकिन यह कोई नहीं जनता कि नेताजी के उस खजाने का क्या हुआ, जो वे विमान में अपने साथ लेकर जा रहे थे। जापान में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद फौज यानि इंडियन नेशनल आर्मी (आईएनए) के पास एक बड़ा खजाना था। ये वो धन था, जो लोगों ने बड़े पैमाने पर उन्हें दान किया था। जब वह विमान से जा रहे थे तो सोने चांदी से दो भरे बड़े बॉक्स भी अपने साथ लेकर जा रहे थे।
शाहनवाज जांच कमेटी का गठन, जांच और निष्कर्ष
03 नवंबर 1955 को प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने संसद में नेताजी मृत्यु मामले में जांच के लिए शाहनवाज खान की अगुवाई में आधिकारिक जांच कमेटी गठित की। इसमें इंडियन नेशनल आर्मी के पूर्व मेजर जनरल शाहनवाज खान के अलावा सुभाष के बड़े भाई सुरेश चंद्र बोस और आईसीएस एस एन मैत्रा शामिल किए गए। इस कमेटी ने अपनी जो रिपोर्ट पेश की, उसमें एक अध्याय इस खजाने के बारे में भी था।
खबर के अनुसार, नेताजी जब जापान में थे. आजाद हिन्द फौज के संचालन को देख रहे थे. तो वह चाहते थे कि आईएनए अपने स्रोतों से अपने लिए धन इकट्ठा करे. दक्षिण पूर्वी एशिया में रहने वाले भारतीयों से मदद मांगी गई. ये मदद नियमित तौर पर आईएनए के पास पहुंचती थी, जिससे उनके पास बड़े पैमाने पर फंड इकट्ठा हो गया. नेताजी की सरकार के राजस्व मंत्रालय ने इसके लिए एक अलग कमेटी बनाई, जिसे नेताजी फंड कमेटी नाम दिया गया. ताकि ये कमेटी सोना और अन्य बेशकीमती सामानों और आभूषणों को संभाल सके.
नेताजी को आभूषणों से तौला गया
23 जनवरी 1945 को जब नेताजी का जन्मदिन था, तब उन्हें नकद और बहुमूल्य आभूषणों से तौला गया. लोग नेताजी फंड में अपनी चल और अचल संपत्तियां दान में देते थे. रंगून में हबीब साहिब ने अपनी सारी जमीन, नगदी और ज्वैलरी आजाद हिन्द फौज को दान में दे दी. इसकी कीमत तब एक करोड़ और तीन लाख रुपए के आसपास थी. इसके बदले उन्होंने नेताजी से केवल एक जोड़ी खाकी शर्ट और शार्ट्स मांगे, ताकि आजादी आंदोलन में उनसे जुड़ सकें. इस फंड के संचालन का काम आजाद हिन्द बैंक करता था.
रंगून से बैंकाक 17 बक्सों में खजाना ले गए थे नेताजी
शाहनवाज कमेटी की रिपोर्ट कहती है कि नेताजी रंगून से बैंकाक 17 छोटे लकड़ी के बॉक्सों में एक करोड़ रुपए का खजाना जिसमे ज्यादातर आभूषण और सोने की छड़ें थीं। ये भारतीय महिलाओं द्वारा पहने जाने वाले आभूषण थे।
नेताजी नहीं ले जाना चाहते थे खजाना
प्रत्यक्षदर्शियों का कहना था कि नेताजी के सामानों में बड़े सूटकेस थे, जिसमें दस्तावेज और करेंसी थी. हालांकि फंड को लेकर असंमजंस बना रहा, क्योंकि किसी को नहीं मालूम था कि नेताजी ने कितना पैसा निकाला और कितना खर्च किया और उनके पास कितना सोना और आभूषण है, नेताजी अपने साथ खजाना नहीं ले जाना चाहते थे. बैंकाक में रहने वाले आईएनए से जुड़े और फंड कमेटी के सदस्य पंडित रघुनाथ शर्मा ने शाहनवाज कमेटी से कहा, कुछ दिन पहले नेताजी ने उनसे पूछा था कि क्या वह खजाने का प्रभार लेना चाहेंगे लेकिन शर्मा इसके लिए सहमत नहीं हुए।
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