शाहरुख और गौरी की शादी को 26 साल हो चुके हैं। 25 अक्टूबर 1991 को दोनों ने हिंदू-रीति रिवाज के मुताबिक शादी की थी। इससे पहले दोनों का निकाह भी हुआ था, जिसमें गौरी का नाम आयशा रखा गया था। गौरी स्टार वाइफ होने के साथ ही प्रोड्यूसर और इंटीरियर डिजाइनर भी हैं। कई मौकों पर शाहरुख अपनी कामयाबी का क्रेडिट पत्नी गौरी को देते हैं। वैसे, गौरी को अपनी जिंदगी में लाना शाहरुख के लिए आसान नहीं था। काफी मशक्कत के बाद दोनों की शादी हुई थी।
पजेसिव शाहरुख से परेशान थीं गौरी
शाहरुख, गौरी को लेकर बहुत ही पजेसिव थे। इतने पजेसिव कि वे अगर अपने बालों को खोल कर रखें तो शाहरुख उनसे लड़ने लगते थे। एक मैगजीन में छपे अपने लेख में शाहरुख ने कहा था, “उस समय गौरी को लेकर मेरी दीवानगी बेहद बढ़ चुकी थी। अगर वो स्विमसूट पहनती या अपने बाल खुले रखती तो मैं उससे लड़ने लगता था। जब वो अपने बाल खोलती थी तो बेहद खूबसूरत लगती थी। मैं नहीं चाहता था कि दूसरे लड़के उसे देखें। मेरे अंदर असुरक्षा की भावना आ गई थी क्योंकि हम ज्यादा मिल नहीं पाते थे और अपने रिश्ते के बारे में ज्यादा बात भी नहीं कर पाते थे।” शाहरुख की इसी आदत से परेशान होकर गौरी उन्हें दिल्ली में छोड़कर बिना बताए मुंबई आ गई थी। शाहरुख, गौरी को मनाने मुंबई तक जा पहुंचे थे। उन्हें पता नहीं था कि गौरी मुंबई में कहां रह रही हैं तब भी उन्होंने कई दिनों तक मुंबई की गलियों की खाक छानी। बहुत ढूंढने के बाद एक दिन शाहरुख ने गौरी को मुंबई के अक्सा बीच पर ढूंढ़ निकाला। शाहरुख को देख गौरी रोने लगी थी।
शाहरुख को पहली नजर में ही पसंद आ गई थीं गौरी
बात 1984 की है जब दिल्ली के पंचशील क्लब में चल रही एक पार्टी में 19 साल के शाहरुख की नजर, 14 साल की गौरी पर पड़ी थी। शाहरुख उन्हें बस देखते ही रह गए थे। उस पार्टी में शाहरुख खान ने गौरी को किसी और लड़के के साथ डांस करते देखा और उन्हें गौरी से प्यार हो गया। लेकिन उस रोज, शर्मीले शाहरुख, गौरी से बात करने की हिम्मत नहीं जुटा पाए थे।
जिस पार्टी में गौरी जातीं, शाहरुख भी पहुंच जाते
इसके बाद तो जिस पार्टी में भी गौरी के पहुंचने की उम्मीद होती, शाहरुख भी उस पार्टी में पहुंच जाते। 25 अक्टूबर, 1984 को तीसरी मुलाकात में शाहरुख ने गौरी के घर का फोन नंबर हासिल कर लिया था।
कोडवर्ड में होती थी बातें
शाहरुख को गौरी पसंद आ गई थीं। उनसे फोन पर बात करने का तरीका भी शाहरुख ने निकाला। वो अपनी किसी दोस्त से गौरी के घर फोन करवाते। गौरी के घर जो भी फोन उठाता, शाहरुख की दोस्त उसे अपना नाम शाहीन बतातीं। शाहीन कोडवर्ड था, जिसे सुनकर गौरी समझ जाती कि फोन शाहरुख का है।
पार्टियों में ही होती भी गौरी-शाहरुख की मुलाकात
गौरी के घर किसी को शक भी नहीं होता था और फिर शाहरुख और गौरी देर तक बातें करते। गौरी और शाहरुख की मुलाकात पार्टियों में ही हो पाती थी जहां गौरी की फीमेल फ्रेंड्स भी उनके साथ होती थीं। धीरे-धीरे ये दोनों लॉन्ग ड्राइव पर भी जाने लगे।
ऐसे किया था शाहरुख ने प्रपोज
मुश्ताक शेख द्वारा लिखित अपनी बायोग्राफी ‘शाहरुख केन’ में एसआरके उन दिनों को याद करते हुए कहते हैं, “एक दिन मैंने गौरी को उसके घर छोड़ा, जब वो गाड़ी से उतर रही थी तो मैंने उससे कहा मैं तुमसे शादी करूंगा? इसके बाद बिना उसका जवाब सुने मैं अपनी गाड़ी लेकर वहां से चला आया।”
अलग-अलग धर्म की वजह से शादी में आईं अड़चनें
शाहरुख और गौरी तो अपने प्यार को शादी में बदलने के लिए तैयार थे मगर दोनों के धर्म अलग होने की वजह से इनके घरवालों को कड़ी आपत्ति थी। शाहरुख ने गौरी के परिवार वालों को मनाने के लिए खूब पापड़ बेले और उन्हें मनाने में आखिरकार कामयाब हो ही गए। गौरी के माता-पिता समझ चुके थे कि गौरी और शाहरुख अब किसी भी तरह उनकी बात नहीं मानेंगे इसलिए आखिरकार उन्होंने उनकी शादी के लिए हां कह दिया था।
दो तरीके से हुई थी शादी
शाहरुख और गौरी का पहले निकाह हुआ, जिसमें गौरी का नाम आयशा रखा गया। इसके बाद 25 अक्टूबर, 1991 को हिंदू रीति-रिवाजों के मुताबिक दोनों की शादी हुई। शादी के संगीत में शाहरुख-गौरी ने जमकर डांस किया था।
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